मन की लहर : वीर रस की कविता
काव्यांश : मन की लहर
बदलाव की आ रही बयार है
सामने लक्ष्य रहा पुकार है
हो परिस्थिति कुछ भी
हमें कूच करना होगा
सामने खडी ...
सशस्त्र सेना के मध्य
मार्ग बनाकर
चलना होगा।।
Comments