श्री गणेश चतुर्थी विशेष...

                               
                                                                             गजाननं भूतगणादिसेवितं                              कपित्थजम्बूफलचारूभक्षणं।
               उमासुतं शोकविनाशकारकम्
                नमामि विघ्नेश्वरपादपङकजम् ।।
                  
             

गणेश चतुर्थी पंचाङग :
गणेश चतुर्थी - 2 सितम्बर 2019
मास- भाद्रपद
पक्ष- शुक्ल पक्ष
तिथि - चतुर्थी
चतुर्थी तिथि प्रारंभ - सितम्बर 2 को 4:57 बजे  चतुर्थी तिथि समाप्त- सितम्बर 3 को 1:54 बजे
वार- सोमवार
नक्षत्र- हस्त



मध्यान्ह गणेश पूजा मूहुर्त :10:40 से 1:11 तक 

गणेश जी के बारे में :    
*गणेश देव - वे प्रथमपूज्य, गणों के ईश , गणपति स्वस्तिक रुप तथा प्रणव स्वरुप हैं।
*माता-पिता - शिव और पार्वती                      *भाई-बहन - कार्तिकेय और अशोकसुन्दरी
*पत्नी - प्रजापती विश्वकर्मा की पुत्री ऋध्दि और सिध्दि
*पुत्र - सिध्दि से क्षेम और ऋध्दि से लाभ नाम के दो पुत्र की प्राप्ति हुई। लोक परम्परा में इन्हें शुभ लाभ कहा जाता है।
*गणेश - गणेश पुराण ,गणेश चालीसा ,गणेश स्तुति ,गणेश आरती ,संकटनाशन गणेश स्त्तोत्र।
*गणेश सम्प्रदाय - गणेश की उपासना करने वाला सम्प्रदाय गाणपतेय कहलाते हैं।
*गणेश का स्वरूप - वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारो हाथों में क्रमशः पाश ,अंकुश ,मोदक पात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण , लम्बोदर ,शूपकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं। वे रक्तचंदन धारण करते हैं।
*गणेश जी के 12 नाम - सुमुख , एकदन्त गजकर्णक ,लम्बोदर ,मृत्युंजय ,विघ्ननाशक विनायक ,गणाध्यक्ष ,भालचन्द्र ,गजानन गौरीसूत ,वक्रतुण्ड।

प्रथमपूज्य के रूप में गणेश जी :
 * कथा अनुसार जब पृथ्वी की परिक्रमा को लेकर बड़े भाई कार्तिकेय से प्रतिस्पर्धा शुरू हुई तब मंगलरुप  अतिचातुर गणेश  जी ने अपने माता -पिता की परिक्रमा करके जय प्राप्त की और शिव जी के वरदान से प्रथमपूज्य बने ।इससे स्पष्ट है  कि जीवन को विस्तार से जानने से अधिक महत्वपूर्ण उसके सार को जानना है। हम सब सदा कार्तिकेय जी की तरह निकल पड़ते हैं। मगर जो गणेश जी की तरह भावुक तथा बुध्दिमान होता है, वह सार पर टिकता है और जो माता पिता को महत्व देता है वही हर जगह सबसे पहले पूजा जाता है।
             "मातृ देवो भव: पितृ देवो भव: "
      गणेश जी से यह उक्ति चरितार्थ होती है।
                  ॐ श्री गणेशाय नमः।।

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